रूद्राभिषेक

अभिषेक का मतलब होता है – स्नान करना या कराना। यह स्नान भगवान शंकर को उनकी प्रसन्नता हेतु जल एवं रूद्र-मंत्रों के साथ करवाया जाता है इसको रूद्राभिषेक कहते हैं। जल की धारा शिवजी को अति प्रिय है। साधारण रूप से अभिषेक या तो जल या गंगाजल से होता है परंतु विशेष अवसर एवं विशेष प्रयोजन हेतु दूध, दही, घी, शकर, शहद, पंचामृत आदि वस्तुओं से किया जाता है।

शिव को रूद्र इसलिए कहा जाता है – ये रूत् अर्थात् दुख को नष्ट कर देते है। आसुतोष भगवान सदाशिव की उपासना में रूद्राभिषेक का विशेष माहात्म्य है। वेद के ब्राहमण-ग्रन्थों में, उपनिषदों मंे, स्मृतियों में और पुराणों में रूद्राभिषेक के पाठ, जप आदि कि विशेष महिमा का वर्णन है। रूद्राध्याय के समान जपनेयाग्य, स्वाध्याय करनेयोग्य वेदों और स्मृतियों आदि में अन्य कोई मंत्र नहीं है। इस ग्रन्थ में ब्रह्म के निर्गुण एवं सगुण दोनों रूपों का वर्णन है। मन, कर्म तथा वाणी से परम पवित्र तथा सभी प्रकार की आसक्तियों से रहित होकर भगवान सदाशिव की प्रसन्नता के लिए रूद्राभिषेक करना चाहिए। मनुष्य का मन विषयलोलुप हाकर अधोगति को प्राप्त न हो और व्यक्ति अपनी चित्तवृत्तियों को स्वच्छ रख सके इसके निमित्त रूद्रका अनुष्ठान करना मुख्य साधन है। यह रूद्रनुष्ठान प्रवृत्ति-मार्ग से निवृत्ति मार्ग को प्राप्त कराने में समर्थ है। इसके जप, पाठ से तथा अभिषेक आदि साधनों से भगवद्भक्ति, शान्ति, पुत्र-पौत्रादी की वृद्धि, धन-धान्य की संपन्नता, तथा स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। वहीं परलोक मंे सद्गति एवं परमपद (मोक्ष) भी प्राप्त होता है। रूद्राभिषेक परम पवित्र तथा धन, यश, और आयु की वृद्धि करनेवाला है। अपने कल्याण के लिए भगवान सदाशिव की प्रसन्नता के लिए निष्कामभाव से यजन करना चाहिए, इसका अनंत फल होता है। सब प्रकार की सि़िद्ध के लिए रूद्राभिषेक करने से समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है।

रूद्राभिषेक करवाने से लाभ

  • भगवान शिवजी कि प्रसन्नता के लिए रूद्राभिषेक करवाना चाहिए।
  • इससे अमाप पुण्यों की प्राप्ति होती हैं एवं पापों का नाश होता है।
  • रूद्राभिषेक से भगवान शिवकी कृपा से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।
  • रूद्राभिषेक करने वाला परा मुक्ति, सायुज्य मुक्ति, विशुद्ध मुक्ति, कैवल्य पद, परम गति को प्राप्त करता है।
  • जो रोगी और पापी रूद्राभिषेक करता है वह रोग और पाप से मुक्त होकर सुख को प्राप्त करता है।
  • रूद्राभिषेक करने से उपद्रवों की शांति होती है।
  • रूद्राभिषेक करवाने से जीवन आनंद एवं शांतिपूर्ण व्यतीत होता है एवं दीर्घजीवन की प्राप्ति होती है।
  • इसके करवाने से संर्पूर्ण मनोरथ पूर्ण होते है।
  • यह कल्मशों का नाशक, सब पापों का निवारक तथा सब प्रकार के दुखों और भयों को दूर करनेवाला है।
  • इसके करवाने से व्यक्ति सुरापान के दोष से छूट जाता है।
  • रूद्राभिषेक करवाने से व्यक्ति ब्रहमहत्या के दोष से मुक्त हो जाता है।
  • इसके करवाने से व्यक्ति स्वर्ण की चोरी के पाप से छुट जाता है।
  • रूद्राभिषेक के प्रभाव से व्यक्ति शुभाशुभ कर्मो से उद्धार पाता है एवं वह भगवान शिवजी के आश्रित हो जाता है।
  • इससे ज्ञान की प्राप्ति होती है एवं व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है।
  • आकस्मीक संकट की स्थिति में रूद्राभिषेक करवाने से शिवजी की कृपा से भयंकर स्थिति भी टल जाती है।

विभिन्न द्रव्यों से अभिषेक करने पर लाभ

जल की धारा शिवजी को अति प्रिय है। भगवान शिवजी को प्रसन्न करने हेतु रूद्राभिषेक विभिन्न द्रव्यों जैसे – दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत, सरसों, शकर, गन्ने के रस आदि से किया जाता है। इन द्रव्यों के द्वारा अभिषेक करने पर जो लाभ होते हैं वे निम्नलिखित है:-

  • जल से अभिषेक करने पर:- जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
  • तीर्था के जल से अभिषेक करने पर:-तीर्थाें के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्वर को शांत करने के लिए जल की धार से अभिषेक करना चाहिए।
  • दूध से अभिषेक करने पर:- दूध से अभिषेक करने पर पुत्र की प्राप्ति होती है। प्रमेह रोग का नाश होता है। मनोभिलाषित कामना की पूर्ति होती है।
  • शक्कर से मिले दूध से अभिषेक करने पर:-शक्कर से मिले दूध से अभिषेक करने पर बुद्धि की जडता का नाश होता है एवं बुद्धि श्रेष्ठ होती है।
  • गोदुग्ध द्वारा अभिषेक करने पर:-गोदुग्ध द्वारा अभिषेक करने पर वन्ध्या को पुत्र की प्राप्ति होती है, एवं जिसकी संतान होकर मर जाती हैं उसकी संतान की रक्षा होती है। मनुष्य को दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है।
  • दही से अभिषेक करने पर:-दही से अभिषेक करने पर पशुओं की प्राप्ति होती है।
  • घी से अभिषेक करने पर:-घी से अभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है। इससे आरोग्य की प्राप्ति भी होती है।
  • शहद के द्वारा अभिषेक करने पर:-शहद के द्वारा अभिषेक करने पर पापों का नाश होता है। तपेदिक आदि रोग भी दूर हो जातें है।
  • शहद एवं धी से अभिषेक करने पर:-शहद एवं धी से अभिषेक करने पर धन की प्राप्ति होती है।
  • गन्ने के रस से अभिषेक करने पर:-गन्ने के रस से अभिषेक करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
  • कुशोदक से अभिषेक करने पर:-कुशोदक से अभिषेक करने पर व्याधि की शांति होती है। इससे उपद्रवों कि शांति भी होती है।
  • सरसों के तेल से अभिषेक करने पर:-सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रुका विनाश होता है।

उपर्युक्त द्रव्यों से अभिषेक करने पर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करते है, एवं भक्तों के संकटों का नाश करते है। अतः विधि-विधान से खूब श्रद्धा एवं विश्वास के साथ रूद्राभिषेक करना चाहिए।

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