श्री गढकालिका देवी मंदिर
गढकालिका देवी का यह मंदिर आज के उज्जैन नगर में प्राचीन अवंतिका नगरी क्षेत्र में है। कालयजी कवि कालिदास गढकालिका देवी के उपासक थे। महाकवि कालिदास की आराध्य देवी गढकालिका थी और उन्होने शास्त्रों का ज्ञान इसी मंदिर में प्राप्त हुआ था। यह मंदिर जिस स्थान पर स्थित है उस संपूर्ण स्थान को गढकालिका के नाम से पुकारा जाता है। भारत देश में बारह शक्ति पीठ हैं, जिसमे से छठा स्थान इस गढकालिका मंदिर का है। इस प्राचीन मंदिर का सम्राट हर्षवर्धन द्वारा जीर्णोध्दार कराने का उल्लैख मिलता है। गढ़ कालिका के मंदिर में माँ कालिका के दर्शन के लिए रोज हजारों भक्तों की भीड़ जुटती है। तांत्रिकों की देवी कालिका के इस चमत्कारिक मंदिर की प्राचीनता के विषय में कोई नहीं जानता, फिर भी माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारतकाल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग के काल की है। बाद में इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन द्वारा किए जाने का उल्लेख मिलता है। स्टेटकाल में ग्वालियर के महाराजा ने इसका पुनर्निर्माण कराया।